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मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर राहुल गांधी का कड़ा हमला – “आधी रात का फैसला अपमानजनक”

नई दिल्ली:
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के उस फैसले की तीखी आलोचना की है, जिसमें ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किया गया। उन्होंने इस निर्णय को “आधी रात का अपमानजनक फैसला” करार देते हुए इसे भारत के मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटाने और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताया।

राहुल गांधी ने जताई आपत्ति

राहुल गांधी, जो इस चयन समिति का हिस्सा थे, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक में इस फैसले का विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि इस चयन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर इसी सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, ऐसे में आधी रात को किया गया यह निर्णय लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।

उन्होंने अपने असहमति नोट को सार्वजनिक करते हुए ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा:

“एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू यह है कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में कार्यपालिका का हस्तक्षेप न हो। लेकिन मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर भारत के मुख्य न्यायाधीश को चयन समिति से हटा दिया, जिससे लोकतंत्र की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठ गए हैं।”

भाजपा सरकार पर तीखा हमला

राहुल गांधी ने आगे कहा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता (LOP) के रूप में यह उनका कर्तव्य है कि वे लोकतंत्र की रक्षा करें और सरकार को जवाबदेह ठहराएं। उन्होंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के फैसले को न सिर्फ अपमानजनक बल्कि अनुचित भी करार दिया, क्योंकि इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होने वाली है

“जब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करने वाला है, तब आधी रात को मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का फैसला करना दर्शाता है कि मोदी सरकार लोकतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को कमजोर कर रही है।”

नियुक्ति पर विवाद क्यों?

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब सरकार ने चुनाव आयोग (CEC) की चयन प्रक्रिया में बदलाव कर दिया

2023 में पारित एक विवादास्पद कानून के तहत, अब मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन प्रधानमंत्री, एक कैबिनेट मंत्री (गृह मंत्री), और विपक्ष के नेता की समिति द्वारा किया जाएगा

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, चयन समिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) भी शामिल होते थे, जिससे नियुक्ति प्रक्रिया निष्पक्ष बनी रहती थी। लेकिन नए कानून के तहत CJI को हटाकर सरकार को मनचाहा चुनाव प्रमुख नियुक्त करने की शक्ति मिल गई है

क्या कहते हैं आलोचक?

राजनीतिक विशेषज्ञों और विपक्षी दलों का मानना है कि नए कानून से सरकार को अनुचित बढ़त मिल रही है। अगले चार वर्षों में करीब दो दर्जन राज्यों में चुनाव होने हैं, और ऐसे में केंद्र सरकार के पास अपने अनुकूल चुनाव आयोग प्रमुख चुनने की शक्ति होगी, जो निष्पक्ष चुनावों की धारणा को कमजोर कर सकता है।

विपक्षी दलों का तर्क है कि इस नए नियम से CEC चयन पैनल की तटस्थता समाप्त हो गई है, जिससे भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली खतरे में पड़ सकती है

सुप्रीम कोर्ट की अहम सुनवाई

इस विवादित मामले की सुनवाई 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में होगी। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस नए कानून के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं

निष्कर्ष

राहुल गांधी ने इस आधी रात के फैसले को सरकार की तानाशाही मानसिकता करार दिया और कहा कि इस तरह की नीतियां भारत की चुनावी प्रणाली को कमजोर कर सकती हैं। अब सबकी नजरें 22 फरवरी की सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि यह नया कानून लोकतंत्र के लिए कितना सही या गलत है


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