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छत्तीसगढ़ में चिकित्सा विशेषज्ञों का समागम: स्वास्थ्य सेवा के भविष्य पर मंथन

Gathering of medical experts in Chhattisgarh: Brainstorming on the future of healthcare

रायपुर: एम्स रायपुर में चिकित्सा विशेषज्ञों का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें स्वास्थ्य सेवा के भविष्य को लेकर गहन चर्चा हुई। इस अवसर पर एक प्रमुख सवाल उठा—क्या अत्याधुनिक शोध अल्जाइमर जैसी लाइलाज बीमारी के लिए नई उम्मीद जगा सकते हैं?

यह सवाल एसोसिएशन ऑफ क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्स ऑफ इंडिया (ACBI) के पहले वार्षिक राज्य अध्याय सम्मेलन के दौरान चर्चा का केंद्र बना। इस सम्मेलन में छत्तीसगढ़ के प्रमुख जैव रसायनज्ञ और वैज्ञानिक एकत्रित हुए। बुधवार को आयोजित इस कार्यक्रम का विषय था “अंतर-विषयक अनुसंधान: भविष्य की स्वास्थ्य सेवा को आकार देना”, जिसमें प्रयोगशाला अनुसंधान और वास्तविक दुनिया में रोगी देखभाल के बीच की खाई को पाटने पर जोर दिया गया।

विशेषज्ञों ने अल्जाइमर उपचार, दवा अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग की भूमिका सहित विभिन्न चिकित्सा प्रगति पर चर्चा की। साथ ही, पूरक घटकों की नैदानिक ​​संभावनाओं पर भी विचार किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन लाना था।

एम्स रायपुर के कार्यकारी निदेशक और सीईओ लेफ्टिनेंट जनरल अशोक जिंदल (सेवानिवृत्त) ने सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “ये चर्चाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। अंतर-विषयक अनुसंधान व्यावहारिक समाधान विकसित करने में मदद करता है, जिससे राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाई जा सकती हैं।”

एम्स रायपुर में जैव रसायन विभाग की प्रमुख और आयोजन अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) एली मोहपात्रा ने चिकित्सकों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि नए नैदानिक उपकरणों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर व्यक्ति को समान और सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त हों, चाहे उसकी सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

सम्मेलन में स्नातकोत्तर और पीएचडी छात्रों ने भी अपने शोध प्रस्तुत किए, जिससे विज्ञान और चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई। इस आयोजन को सफल बनाने में एसीबीआई के सचिव प्रोफेसर (डॉ.) राजीव रंजन सिन्हा और अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) इंदु वर्मा का विशेष योगदान रहा।

आयोजन सचिव प्रोफेसर (डॉ.) रचिता नंदा ने सभी सहयोगियों और प्रतिभागियों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस पहले वार्षिक सम्मेलन की सफलता छत्तीसगढ़ में सहयोगात्मक अनुसंधान और उन्नत स्वास्थ्य सेवा के उज्ज्वल भविष्य की ओर संकेत करती है।


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