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यह रहा श्री पंडीराम मंडावी के पद्मश्री सम्मान पर आधारित वेबसाइट पोस्ट का ड्राफ्ट, जिसे आप न्यूज़ पोर्टल, ब्लॉग या संस्थागत वेबसाइट पर प्रकाशित कर सकते हैं:


गढ़बेंगाल के श्री पंडीराम मंडावी को मिला पद्मश्री सम्मान – जनजातीय कला को मिला राष्ट्रीय गौरव

📅 28 मई 2025 | रायपुर

बस्तर अंचल की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और देश-दुनिया तक पहुँचाने वाले गढ़बेंगाल निवासी श्री पंडीराम मंडावी को वर्ष 2025 के पद्मश्री सम्मान से अलंकृत किया गया है। यह सम्मान उन्हें जनजातीय वाद्य यंत्र निर्माण और काष्ठ शिल्प कला के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा प्रदान किया गया।

🎵 पारंपरिक विरासत के संवाहक

श्री मंडावी ने गोंड और मुरिया समाज की परंपरागत वाद्य यंत्र निर्माण कला को न केवल संरक्षित किया, बल्कि उसे राष्ट्रीय मंच पर भी पहचान दिलाई। उनके द्वारा बनाए गए वाद्य यंत्रों में सांस्कृतिक भावनाओं की ध्वनि होती है, जो नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का कार्य करती है।

🗨️ मुख्यमंत्री ने दी शुभकामनाएं

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने श्री मंडावी को शुभकामनाएं देते हुए कहा,

“यह सम्मान केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा और जनजातीय प्रतिभा को मिला है। पंडीराम मंडावी जैसे कलाकारों की साधना ने साबित किया है कि हमारी मिट्टी की कला वैश्विक मंच पर भी अपनी पहचान बना सकती है।”

🌿 बस्तर से भारत तक

पंडीराम मंडावी का यह सम्मान बस्तर अंचल की लोकसंस्कृति, काष्ठ शिल्प और सांगीतिक परंपराओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। उन्होंने जीवन भर अपने हाथों और साधना से जो रचा, वह आज भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।


📍 यह खबर बस्तरवासियों ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय है।
पंडीराम मंडावी अब केवल एक कलाकार नहीं, संस्कृति के सजग प्रहरी और प्रेरणास्रोत बन चुके हैं।


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