🎓 शाला प्रवेशोत्सव में विद्यार्थियों का सम्मान: गांव की शिक्षा जागरूकता की प्रेरणादायक मिसाल
स्थान: एमसीबी, सलका | तिथि: शिक्षा सत्र 2024–25
छत्तीसगढ़ के एमसीबी जिले के ग्राम पंचायत सलका में शिक्षा सत्र 2024–25 के अवसर पर शाला प्रवेशोत्सव बड़े उत्साह और सामाजिक सहभागिता के साथ मनाया गया। इस आयोजन में राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया, जिससे न केवल छात्र-छात्राओं का उत्साह बढ़ा, बल्कि शिक्षा के प्रति समाज में जागरूकता की भी नई लहर देखने को मिली।
✅ शिक्षा के तीन स्तंभ: छात्र, शिक्षक और पालक
इस कार्यक्रम में उन बच्चों को सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और सतत प्रयासों से राज्य स्तर की परीक्षा में शानदार परिणाम हासिल किए। यह सफलता केवल बच्चों की नहीं, बल्कि शिक्षकों की मेहनत और अभिभावकों के सहयोग का भी प्रमाण है।
सम्मान समारोह में विद्यालय परिवार, पंचायत प्रतिनिधि, पालकगण और ग्रामीणों ने भाग लिया, जिससे यह एक शैक्षणिक कार्यक्रम से बढ़कर सामुदायिक उत्सव बन गया।
👨🏫 जनप्रतिनिधियों की प्रेरक अपील
ग्राम पंचायत सलका की सरपंच मालती सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा:
“पढ़ाई से ही बच्चों का भविष्य बनेगा। आज आप जितना अधिक पढ़ेंगे, कल उतना ही ऊंचा उड़ पाएंगे। अगर आप पढ़ाई में आगे बढ़ेंगे, तो माता-पिता और गांव दोनों का नाम रोशन होगा।”
वहीं उपसरपंच हरीश यादव ने कहा:
“आप सभी बच्चे ईमानदारी से पढ़ाई करें। पढ़ाई न करने से जीवन में कठिनाइयां आती हैं। पालकों और शिक्षकों से मेरा अनुरोध है कि बच्चों को हर दिन पढ़ने के लिए प्रेरित करें।”
उन्होंने विशेष रूप से कहा कि हर पालक अपने बच्चे को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा घर में पढ़ाए, ताकि घर और स्कूल दोनों स्तर पर शिक्षा को मजबूती मिले।
🏫 शिक्षकों की भूमिका — निरंतर मार्गदर्शन का महत्व
माध्यमिक शाला सलका के प्रधान पाठक रामचंद सिंह ने विद्यार्थियों की उपलब्धियों पर गर्व जताया और कहा कि:
“आज का यह सम्मान समारोह बच्चों के आत्मबल को बढ़ाएगा। हम शिक्षकों का लक्ष्य सिर्फ परीक्षा में नंबर लाना नहीं, बल्कि उनमें संस्कार, आत्मनिर्भरता और सामाजिक चेतना भी विकसित करना है।”
शिक्षकों — श्रीमती विशाखा देवी मोर्ग, रामसाय राजवाड़े, धरमपाल,देवनारायण सिंह, और प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक प्राण सिंह ने भी शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की।
👪 अभिभावकों की जागरूकता भी बनी सफलता की कुंजी
सम्मान समारोह में उपस्थित पूर्व जनपद सदस्य आरती सिंह, पूर्व उपसरपंच कृष्णा बाई, पंचगण राजकुमार व संगीता ने शिक्षा को लेकर अपने विचार साझा किए। उनका कहना था कि:
“बच्चों की पढ़ाई सिर्फ स्कूल की जिम्मेदारी नहीं, पूरे समाज की जिम्मेदारी है। अगर हम सब एकजुट होकर काम करें, तो हर बच्चा शिक्षित और संस्कारी बन सकता है।”
🏅 बच्चों की मुस्कान में छिपी उम्मीद
सम्मानित विद्यार्थियों के चेहरे पर गर्व और आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। एक छात्रा ने बताया:
“मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं और आज जो सम्मान मिला, उसने मेरे सपने को और मजबूती दी है।”
एक छात्र ने कहा:
“अब मैं हर दिन और मेहनत करूंगा ताकि अगले साल भी इस मंच पर खड़ा हो सकूं।”
🌱 शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम
शाला प्रवेशोत्सव का यह आयोजन साबित करता है कि जब समाज, शिक्षक और पालक एकजुट होकर काम करते हैं, तो गांवों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा संभव है। सलका जैसी ग्राम पंचायतें आज यह दिखा रही हैं कि शिक्षा केवल शहरों तक सीमित नहीं, बल्कि गांवों से भी उज्ज्वल भविष्य की शुरुआत हो सकती है।
🔚 शिक्षा सिर्फ डिग्री नहीं, बदलाव का माध्यम है
शाला प्रवेशोत्सव केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि गांवों में शिक्षा की चेतना और बच्चों के आत्मबल को बढ़ाने का माध्यम है। ऐसे आयोजनों से विद्यार्थियों में प्रेरणा आती है और समाज में शिक्षा के प्रति गंभीरता बढ़ती है।
सलका का यह उदाहरण बताता है कि शिक्षा जब जनभागीदारी बन जाए, तो गांव से लेकर देश तक परिवर्तन संभव है।