लोकल ट्रक मालिक एसोसिएशन की अहम बैठक: कोयला खदानों में भाड़ा वृद्धि लागू न होने पर नाराजगी
अनूपपुर: जिले के लोकल क्षेत्रीय ट्रक मालिक एसोसिएशन संघ की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें ट्रांसपोर्ट व्यापार से जुड़े अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु कोयला खदानों में केंद्र सरकार के गजट नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन को लेकर था, जिसे लेकर ट्रक मालिकों ने अपनी गहरी चिंता व्यक्त की।


भाड़ा वृद्धि का आदेश, लेकिन पालन अधूरा!
बैठक में एसोसिएशन के सदस्यों ने यह मुद्दा उठाया कि केंद्र सरकार ने कोयला खदानों में ट्रांसपोर्टेशन भाड़े में 5% वृद्धि का आदेश दिया था, लेकिन यह आदेश सिर्फ कुछ कोयला खदानों में ही लागू किया गया है। कई प्रमुख खदानें अभी भी इस निर्देश की अनदेखी कर रही हैं, जिससे ट्रांसपोर्ट मालिकों को भारी नुकसान हो रहा है।
विशेष रूप से कुरजा कॉलरी, हल्दीबाड़ी कॉलरी, आमाडाड और अन्य कई कोयला खदानों में इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इससे ट्रांसपोर्टर्स के लिए व्यावसायिक चुनौतियां बढ़ रही हैं, क्योंकि पुराने भाड़े पर काम करने से उन्हें अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा।

संघ ने दी चेतावनी: जल्द निर्णय नहीं तो होगा आंदोलन
बैठक में यह तय किया गया कि यदि जल्द ही सभी कोयला खदानों में भाड़ा वृद्धि लागू नहीं की गई, तो संघ को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अगर कोयला खदानें सरकारी आदेशों का पालन नहीं करतीं, तो वे धरना-प्रदर्शन, हड़ताल और कानूनी कार्रवाई जैसे कड़े कदम उठाने के लिए तैयार हैं।
ट्रांसपोर्टर्स की एकजुटता, हक के लिए करेंगे संघर्ष
इस बैठक में उपस्थित सभी प्रमुख सदस्य अपने हक की लड़ाई में एकजुट दिखे। उन्होंने सरकार से मांग की कि कोयला खदानों को निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य किया जाए, ताकि ट्रांसपोर्ट व्यापारियों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके।
बैठक में एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी, क्षेत्रीय ट्रक मालिक और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे, जिन्होंने सरकार को जल्द कदम उठाने की चेतावनी दी।

समस्या का समाधान जरूरी, वरना होगा बड़ा प्रदर्शन
संघ ने प्रशासन और संबंधित विभागों से तत्काल कार्रवाई करने की मांग की और स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और कानूनी कार्रवाई से पीछे नहीं हटेंगे।
निष्कर्ष
यह बैठक ट्रांसपोर्ट व्यापारियों की समस्याओं को उठाने और उनके समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाते हैं और ट्रक मालिकों की मांगें पूरी करने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।
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