विकास चाहिए, बहाने नहीं!
नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह के नेतृत्व में नगर पालिका परिषद की बैठक का बहिष्कार!
21 मार्च 2025: शुक्रवार को नगर पालिका परिषद की बैठक के दौरान पार्षदों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। जब इन सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह के नेतृत्व में बैठक का बहिष्कार कर दिया गया। विपक्षी पार्षदों ने नगर प्रशासन पर जनता के पैसे के दुरुपयोग, पक्षपातपूर्ण रवैये और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नगर पालिका परिषद कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।
जनता के पैसे का बंदरबांट नहीं चलेगा! – पार्षदों का तीखा हमला
नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह ने कहा,
“नगर पालिका केवल सत्ता पक्ष के वार्डों में ही काम कर रही है, बाकी पूरे शहर को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है। विकास कार्य केवल चहेतों के इलाकों में हो रहे हैं, जबकि आम जनता की बुनियादी समस्याओं का समाधान कहीं नहीं है। आखिर नगर निधि का पैसा जा कहां रहा है?”
उन्होंने यह भी कहा, “जब किसी वार्ड में विकास कार्य की बात की जाती है तो जवाब मिलता है कि हमारे पास फंड नहीं है।”
उन्होंने प्रशासन से सवाल किया:
- क्यों सफाई व्यवस्था बदहाल है? गली-गली में कूड़ा फैला हुआ है।
- क्यों शहर की सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गई हैं, जबकि मरम्मत के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है?
- क्यों स्ट्रीट लाइट महीनों से बंद हैं, और रात होते ही पूरा शहर अंधेरे में डूब जाता है?
- क्यों पेयजल संकट बना हुआ है, और लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं?
- क्यों मच्छरों का आतंक बढ़ता जा रहा है, जबकि दवा छिड़काव केवल कागजों में हो रहा है?
- क्यों जरूरी मशीनें (जैसे लिफ्टर, पेड़ काटने की मशीन, खरपतवार काटने की मशीन) खराब पड़ी हैं?
पार्षदों ने उठाए सवाल, लेकिन प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं!
बैठक के दौरान जब पार्षदों ने नगर प्रशासन से जवाब मांगा, तो नगर पालिका अध्यक्ष और सीएमओ अधिकारी गोलमोल जवाब देने लगे। सवालों से बचने की कोशिश की गई, जिसके बाद पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया और नगर पालिका परिषद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
पार्षद संजय जायसवाल ने सवाल किया,
“नगर निधि की पारदर्शिता क्यों नहीं है? आखिर जनता के पैसों का हिसाब देने में इतनी परेशानी क्यों हो रही है?”
पार्षद मनीष सिंह ने सीधे सवाल उठाया,
“15वें वित्त आयोग, जिला खनिज न्यास और नगरी निकाय निधि से आए करोड़ों रुपये कहां खर्च हुए? किसे टेंडर दिया गया? क्या टेंडर की प्रक्रिया पारदर्शी थी?”
पार्षद ललित सिंह ने आरोप लगाया,
“नगर प्रशासन भ्रष्टाचार में लिप्त है। बुनियादी मुद्दों जैसे सफाई, सड़क, बिजली और पानी पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आम जनता ठगी महसूस कर रही है!”
पार्षद बाबी सिंह ने कहा,
“नगर पालिका में केवल सत्ता पक्ष के लोगों को फायदा पहुंचाने का काम हो रहा है। क्या बाकी जनता का कोई हक नहीं?”
पार्षद साधना जायसवाल ने कहा,
“स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखों रुपये हर साल खर्च होते हैं, लेकिन हकीकत में शहर गंदगी से भरा हुआ है। यह जनता के पैसों की खुली लूट नहीं तो और क्या है?”
पार्षद अभिनंदन सिंह चंदेल ने कहा,
“नगर प्रशासन जवाबदेही से बच रहा है। पार्षदों के सवालों का जवाब नहीं दिया जाता, तो आम जनता की कौन सुनेगा?”
पार्षद राहुल गुप्ता ने चेतावनी दी,
“अगर नगर पालिका ने जनता के पैसे का दुरुपयोग और पक्षपात बंद नहीं किया, तो हम जनता के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे!”
पार्षद अंकित गुप्ता ने कहा,
“बैकुंठपुर की सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। हर जगह गड्ढे हैं, दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। क्या प्रशासन को इसकी चिंता नहीं?”
पार्षद धीरू शिवहरे ने नगर प्रशासन पर तीखा हमला करते हुए कहा,
“नगर पालिका में हर जगह भ्रष्टाचार फैला हुआ है। ठेकेदारों से सांठगांठ करके विकास कार्यों में लापरवाही की जा रही है। आखिर जनता कब तक भुगतेगी?”
“भ्रष्टाचार बंद करो, शहर को बचाओ!” के नारों से गूंजा नगर पालिका परिसर
सत्ताधारी पार्षदों और प्रशासन द्वारा अपनों को फायदा पहुंचाने और अन्य वार्डों की उपेक्षा किए जाने पर नाराज पार्षदों ने नगर पालिका परिषद कार्यालय के बाहर जोरदार नारेबाजी की।
नेता प्रतिपक्ष अन्नपूर्णा प्रभाकर सिंह ने कहा,
“हम जनता के पैसे की बर्बादी नहीं होने देंगे। प्रशासन को पारदर्शिता लानी होगी, वरना जनता खुद इसका जवाब देगी!”
अब सवाल यह है – क्या नगर पालिका प्रशासन जागेगा?
या फिर जनता खुद सिखाएगी सबक? सभी पार्षदों ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो विरोध और तेज होगा!