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फर्जी प्रस्ताव पर अमेरा परियोजना विस्तार का ग्रामीणों ने किया विरोध, बोले – “नौकरी नहीं तो जमीन नहीं”

📍 सरगुजा | संवाददाता – मुकेश कुमार

सरगुजा जिले के पारसोडीकला ग्राम पंचायत में एसईसीएल द्वारा अमेरा परियोजना के अवैध विस्तार को लेकर ग्रामीणों में उबाल है। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया है कि फर्जी प्रस्तावों के आधार पर जबरन खनन कार्य शुरू किया गया है, जबकि इस संबंध में ग्राम सभा से कभी कोई स्वीकृति नहीं दी गई।

ग्रामीणों का एकजुट विरोध, खुदाई कार्य बंद

पूर्व में ग्रामीणों के विरोध के बाद सीपीटी गड्ढा खुदाई कार्य बंद कर दिया गया था। लेकिन अब दोबारा एसईसीएल प्रबंधन और एक निजी कंपनी द्वारा खनन कार्य शुरू करवाया गया, जिससे ग्रामीण आक्रोशित हैं।

ग्रामवासियों का कहना है कि:

“बिना ग्रामसभा की सहमति के, हमारी जमीन पर खुदाई की जा रही है। यह पूरी तरह अवैध है। जब तक हमें रोजगार की गारंटी नहीं दी जाएगी, तब तक हम अपनी जमीन नहीं देंगे।”

⚠️ सरपंच-पंचों की मौजूदगी में दिया गया अल्टीमेटम

इस मौके पर ग्राम सरपंच रणविजय सिंह, पंच और बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्र हुए और एसईसीएल तथा प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि उनकी जमीनों पर जबरन खनन की कोशिश की गई, तो वे आंदोलन को उग्र रूप देंगे

🔍 गंभीर आरोप: शासन-प्रशासन की मिलीभगत

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरकार बदलते ही बिना जनसहमति के परियोजना विस्तार की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। यह जनता के अधिकारों का उल्लंघन है।

एक ग्रामीण ने कहा:

“हमने कभी इस परियोजना को स्वीकृति नहीं दी। कोई ग्रामसभा नहीं बुलाई गई, फिर किस आधार पर प्रस्ताव दिखाया गया?”

📸 मौके की स्थिति

  • पारसोडीकला गांव में भारी पुलिस बल की तैनाती नहीं होने के बावजूद शांति बनी रही।
  • ग्रामीणों ने प्लाकार्ड, नारों और हाथों में झंडे लेकर प्रदर्शन किया।
  • नौकरी नहीं तो जमीन नहीं” के नारे गूंजते रहे।

📝 मांगें और चेतावनी

  1. ग्राम सभा की स्वीकृति के बिना खनन कार्य तत्काल रोका जाए।
  2. रोजगार, पुनर्वास और मुआवज़े की गारंटी हो।
  3. फर्जी प्रस्तावों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
  4. यदि कार्य नहीं रोका गया, तो अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा।

🗣️ अब आगे क्या?

ग्रामीणों ने साफ़ शब्दों में चेताया है कि अब वे अपने हक के लिए संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे।
यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की आवाज़ नहीं सुनी, तो यह मामला जिला स्तर से लेकर राजधानी तक का आंदोलन बन सकता है।


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