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कोरिया (छत्तीसगढ़), 12 मई 2025

सड़क सुरक्षा और जनस्वास्थ्य को नई दिशा देने की ओर बढ़ते हुए, कोरिया जिला प्रशासन और परिवहन विभाग ने एक अभिनव पहल की है। 12 मई को थाना चरचा के सामने आयोजित हुए 10वें नि:शुल्क नेत्र परीक्षण शिविर ने इस अभियान को नई ऊंचाई प्रदान की। विशेषकर वाहन चालकों को लक्ष्य बनाकर आयोजित इस शिविर ने सामाजिक सहभागिता, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और प्रशासनिक समन्वय का एक सफल उदाहरण पेश किया है।

01 से 22 मई तक चल रहे इस महा अभियान के अंतर्गत जिले भर में वाहन चालकों की दृष्टि जांच की जा रही है। परिवहन विभाग के अनुसार, कमजोर दृष्टि के कारण दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में यह शिविर न केवल स्वास्थ्य जांच का जरिया बना, बल्कि सड़क सुरक्षा को भी सशक्त करने वाला कदम साबित हुआ।

शिविर में नेत्र विशेषज्ञ मोहसीन रज़ा और उनकी टीम द्वारा सैकड़ों चालकों की आंखों की जांच की गई। दृष्टिदोष पाए जाने पर चालकों को नि:शुल्क चश्मे और दवाएं वितरित की गईं। इस सेवा ने न केवल स्वास्थ्य लाभ पहुंचाया, बल्कि वाहन चालकों का आत्मविश्वास भी बढ़ाया।

जिला परिवहन अधिकारी श्री अनिल भगत के नेतृत्व में संचालित इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिले का कोई भी चालक इस स्वास्थ्य सुविधा से वंचित न रह जाए। उन्होंने बताया कि यह अभियान 22 मई तक जिले के सभी प्रमुख इलाकों में जारी रहेगा।

इस अभियान की सफलता में सामाजिक संस्था ‘आर्थो वेलफेयर फाउंडेशन’ की अहम भूमिका रही। संस्था अध्यक्ष शकील अहमद के नेतृत्व में उनकी टीम—मनोज कुमार मंडल, तरुण कुमार सिंह, राहुल सिंह, कु. नंदनी, आकांक्षा गिद्ध, माही पंकज, सरिता कुर्रे तथा पुलिस प्रशासन से उ.नि.अनिल सोनवानी, उ.नि.बालेश्वर महानंदी,आर. बलराम केवट, राजेश रगड़ा, अजित राजवाड़े व उमेश्वर राजवाड़े ने शिविर संचालन को व्यवस्थित और प्रभावी बनाया।

शकील अहमद ने कहा, “दृष्टि केवल स्वास्थ्य नहीं, सुरक्षा का भी मूल आधार है। हर चालक को समय-समय पर नेत्र जांच अवश्य करानी चाहिए।”

जनता की सकारात्मक प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों और वाहन चालकों ने इस प्रयास की भरपूर सराहना की। कई लोगों ने बताया कि निजी समस्याओं के कारण वे नेत्र जांच नहीं करवा पाते थे, ऐसे में यह शिविर उनके लिए वरदान सिद्ध हुआ।

जिला प्रशासन कोरिया की पहल बनी अनुकरणीय मॉडल
चरचा थाना के सामने आयोजित यह शिविर दर्शाता है कि जब प्रशासन, सामाजिक संस्थाएं और आमजन मिलकर कार्य करते हैं, तो किसी भी योजना को जनांदोलन का रूप दिया जा सकता है। कोरिया जिले की यह पहल न केवल प्रदेश बल्कि देश के अन्य जिलों के लिए भी एक प्रेरणास्रोत बन सकती है।


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